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Saturday 7 July 2018

*हुकूमते अमीरे मुआविया के बुनियादी उसूल* #03


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*दूसरों के तजरबे से इस्तिफादा*
     हज़रत अमीरे मुआविया رضي الله عنه के पेशे नज़र खुल्फाए राशिदीन का मुबारक दौर भी था लेकिन इसके साथ साथ आप माज़ी में गिज़रने वाले बादशाहों, उनके तर्ज़े हुकूमत ओर तारीख को अपने मुतालए मे रखा करते यूँ उन बादशाहों ओर उनके तर्ज़े हुकूमत की खामियां ओर खूबियां आप के सामने आ जाती यूँ दूसरों के तजरबे से फायदा उठा कर आप ने इस्लामी हुकूमत को मजबूत फ़रमाया।

*मशवरे का खैर मक़दम*
     मशवरे से मक़सूद ऐसी राह मूतअय्यन करना होती है जिस पर चल कर इंसान अपनी मंज़िल पर बा आसानी पहुंच सके और इस मे बेहतरी ही है क्योंकि फ़रदे वाहिद के फैसले में खता का इमकान ज़्यादा रहता है जब के कई ज़हनों से सोचा जाने वाला नतीजा एक हद तक गलती से महफ़ूज़ होता है। अमीरे मुआविया رضي الله عنه भी हर अहम मुआमले में मुशावरत ही के ज़रिए फैसला फरमाते ओर अगर कोई आप को मशवरा पेश करता तो उस की हौसला अफजाई भी फरमाते, यूँ आप के बारे में एक मुसबत तअस्सुर पैदा हो जाता और सामने वाले को अपनी राए पेश करने में बहुत आसानी हो जाती इस तरह किसी भी बड़ी मुश्किल को हल करने में रुकावट पेश न आती।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 106
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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