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Monday 6 August 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #212


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*युसूफ عليه السلام की क़ब्र*

     आपकी वफात के बाद मिस्री लोगों में तनाज़ा हो गया हर एक कि ख्वाहिश थी कि आप हमारे मुहल्ले में दफन किये जायें ताकि आपसे बरकत हासिल कर सकें।

     क़रीब था कि उनके दरमियान लड़ाई भड़क उठे, आख़िरकार कुछ लोगों ने मिलकर फैसला किया कि आप को संगे मरमर के सन्दूक में बंद करके दरियाए निल में दफन किया जाये ताकि इस पानी से तमाम शहर वाले एक जैसी बरकत हासिल करें।

     हज़रत अकरमा رضي الله عنه फरमाते है पहले आप को दरियाए निल की दायें जानिब दफन किया गया तो उस तरफ का इलाक़ा सर सब्ज़ व शादाब रहने लगा और दूसरी जानिब खुश्क, फिर आपके सन्दूक को निकालकर निल की बायें जानिब दफन कर दिया गया अब उस तरफ खुशहाली का दौर आ गया और दूसरी जानिब खुश्की रहने लगी। फिर आपको दरियाए निल के दरमियान दफन किया गया अब दोनों जानिब सर सब्ज़ व शादाब हो गई। आपका जिसमे अतहर इसी तरह दरियाए निल के दरमियान में रहा, 400 साल बाद जब मूसा عليه السلام ने बनी इस्राइल को साथ लेकर मिस्र से रवानगी इख़्तेयार की तो आपके जिस्म को भी साथ ले गये यहां तक कि शाम में अपने आबा के साथ दफन कर दिया गया।

     सुब्हानअल्लाह उन लोगों के कैसे पाकीज़ा अक़ीदे थे? कि उन्हें मालूम था कि नबी की ज़ाहिर हयात में जिस तरह नबी से बरकत हासिल की जाती है उसी तरह दुन्या से रुखसत होने के बाद भी उससे बरकत हासिल होती है। युसूफ عليه السلام की क़ब्र की बरकत से खुशहाली हासिल होती रही।

*✍तज़किरतुल अम्बिया* 173

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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