*महब्बते रसूल* (ﷺ) #3
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
हज़रते ज़ाहर रदिअल्लाहो तआला अन्हो एक बदवी सहाबी थे, जो रसूलुल्लाह ﷺ से निहायत महब्बत रखते थे, और आप ﷺ की ख़िदमत में हदिय्या भेजा करते थे। आप ﷺ भी उनसे महब्बत रखते थे और फ़रमाया करते थे , ज़ाहर (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) हमारे बदवी हैं और हम उनके शहरी हैं।
एक दिन वोह अपना सौदा फ़रोख़्त कर रहे थे, आप ﷺ ने पीछे से आ कर उन को गोद में ले लिया, उन्होंने कहा कौन है? छोड़ दो!! लेकिन मुड़ कर देखा और मालूम हुवा की आप ﷺ हैं तो अपनी पुश्त को बार बार आप ﷺ के सीने से चिमटाते थे और तस्कीन (तसल्ली) नहीं होती थी।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 192
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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