Pages

Sunday, 11 September 2016

मदनी पंजसुरह

*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* # 20
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मुसीबत के वक़्त की दुआ_*

*اِنَّالِلّٰهِ وَاِنَّآ اِلَيْهِ رَاجِعُوْنَ o اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ فِىْ مُصِيْبَتِىْ وَاَخْلِفْ لِىْ خَيْرًا مَّنْهَا*

बेशक हम अल्लाह के है और बेशक हम उसी की तरफ लौटने वाले है, ऐ अल्लाह ! मेरी मुसबित में मुझे अज्र दे और मुझे इस से बेहतर अता फरमा।
*सहीह मुस्लिम, 457*
*मदनी पंजसुरह, 222*

*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment