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Tuesday 27 September 2016

फ़ारुके आज़म का इश्के रसूल

#04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_हर शै से महबूब_*
     हज़रते अब्दुल्लाह बिन हिशामرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हम हुज़ूर के पास बेठे थे। आप ने हज़रते उमर फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه का हाथ अपने हाथ में पकड़ रखा था। फ़ारुके आज़म ने अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! आप मुझे मेरी जान के इलावा हर चीज़ से ज़्यादा महबूब है। आपﷺ ने फ़रमाया : नही उमर ! उस रब की क़सम जिस के कब्जाए कुदरत में मेरी जान है ! (तुम्हारी महब्बत उस वक़्त तक कामिल नही होगी) जब तक में तुम्हारे नज़दीक तुम्हारी जान से भी ज़्यादा महबूब न हो जाऊ।
     फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه ने अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! खुदा की क़सम ! आप मुझे मेरी जान से भी ज़्यादा महबूब है। ये सुन कर हुज़ूरﷺ ने इरशाद फरमाया : ऐ उमर ! अब तुम्हारी महब्बत कामिल हो गई।
*✍🏽बुखारी शरीफ, 4/283*

     ये हुक्म सिर्फ फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه के लिये ही नही बल्कि रहती दुन्या तक आने वाले एक एक मुसलमान के लिये है, क्यू की महब्बते मुस्तफा वो चीज़ है जिस के बगैर हमारा ईमान कामिल ही नही हो सकता।
     फरमाने मुस्तफाﷺ : तुम में से कोई शख्स उस वक़्त तक (कामिल) मोमिन नही हो सकता, जब तक की में उस के नज़दीक उस के वालिदैन, अव्लाद और तमाम लोगो से ज़्यादा महबूब न हो जाऊ।
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/17*

     हज़रते फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه के इश्क रसूल के क्या कहने ! आप के गुलाम हज़रते अस्लमرضي الله تعالي عنه फरमाते है : जब आप हुज़ूरﷺ का ज़िक्र करते तो इश्के रसूल से बे ताब हो कर रोने लगते और फरमाते : प्यारे आक़ाﷺ तो लोगो में सब से ज़्यादा रहम दिल, यतीम के लिये वालिद और लोगो में दिली तौर पर सब से ज़्यादा बहादुर थे, वो तो निखरे निखरे चेहरे वाले, महकती खुशबु वाले और हसब के ऐतिबार से सब से ज़्यादा मुकर्रम थे, अव्वलिनो आखिरिन में आप की मिस्ल कोई नही।
*✍🏽जामीअल जवामिल, 10/16*
*✍🏽फ़ारुके आज़म का इश्के रसूल, 9*
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