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Monday 5 September 2016

फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा

 #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_तआरूफ़े आइशा सिदीक़ा_*
      उम्मुल मुअमिनीन हुज़रते आइशा सिद्दीकाرضي الله تعالي عنها अमीरूल मुआमिनीन हज़रते अबु बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه की साहिब ज़ादी है इन की माँ का नाम "अम्मे रूमान'' हैं इन का निकाह हुज़ूरे अक़दसﷺ से क्ब्ले हिजरत मक्कए मुकर्रमा में हूवा था लेकिन काशानए नुबुव्वत में येह मदीनए मुनव्वरह के अन्दर शव्वाल 2 सि.हि. में आई येह हुजुरﷺ की महबूबा और बहूत ही चहीती बीवी है!
*✍🏽अइशा उम्मुल मुअमिनीन 380-382/4*
     हूज़ुरे अक़दासﷺ ने उम्मुल मुअमिनीन हज़रते आइश़ा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها के बारे में इर्शाद फरमाया : ऐ उम्मे स-लमा ! मुझे आइशा के बारे में कोई तक्लीफ़ न दो । अल्लाह की क़सम ! मुझ पर अइशा के सिवा तुम में से किसी बीवी के लिहाफ में वही नाजिला नाही हूई।
*✍🏽सहीह बूखारी  902,हादीस:3885*

*_आइशा की शाने इबादत व सख़ावत_*
     इबादत में भी अइशाرضي الله تعالي عنها का मार्तबा बहूत ही बुलन्द है ,आइशा के भतीजे हज़रते इमाम क़सिम बिन मुहम्मद बिन अबू बक्र सिद्दीकرضي الله تعالي عنه का बयान है कि हज़रते आइशा रोज़ाना बिला नाग़ा नमाजे तहज्जूद पढ़ने की पाबन्द थी और अक्सर रोज़ादार भी रहा करती थीI
     सखावता और स-दकातो खैरात के मूआ-मले में भी तमाम उम्महातुल मुअमिनीन में खास तोर पर बहूत मुमताज़ थी।
     उम्मे दर्राرضي الله تعالي عنها कहती है कि मैं हजरते आईशा के पास थी उस वक्त़ एक लाख दिरहम कही से आप के पास आए,आप ने उसी वक़्त उन सब दिरहमो को लोगो में तक्सीम कर दिया और एक भी घर में बाक़ी नहीं छोडा । उस दिन वोह रोज़ादार थी। मैं ने अर्ज़ किया कि आप ने सब दिरहामों को बांट दिया और एक दिरहम भी बाक़ी नही रखा ताकि आप गोश्त खरीद कर रोज़ा इफ्ताऱ करर्ती, तैा आप ने फ़रमाया कि तुम ने अगर मुझ से पहले कहा होता तो में एक दिरहम का गोश्त मंगा लेती।
     आपرضي الله تعالي عنها के फ़जाइलो मनाकिबा में बहूत सी हदीसे आई है।
     17 र-मजानुल मुबारक शबे सेह शम्बा (मंगल की रात) 57 या 58 हि. ,में मदीनए मुनव्वरह के अन्दर आपرضي الله تعالي عنها की वफात़ हूई । हजरते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه ने आप की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और आप की वसिय्यत के मुताबिक रात में लोगों ने आप को ज़न्नतुल बकीअ के क़ब्रिस्तान में दूसरी आज्वाजे मात्हहरात की क़ब्रो के पहलू में दफ़न किया
*✍सीरते मुस्तफ़ा, 660-662*
*✍फ़ेज़ाने आझ्शा सिद्दीका-15,16*
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