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Friday 23 September 2016

फैज़ाने सिद्दीके अकबर

#05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*अतीक़ लक़ब की वुजुहात*​ #02
*_वालिद के नाम रखने के सबब अतीक़_*
     पहले आपرضي الله تعالي عنه का नाम अतीक़ रखा गया और बाद में आप को अब्दुल्लाह कहा जाने लगा। चुनांचे, हज़रते अब्दुर्रहमान बिन क़ासिम अपने वालिद से रिवायत करते है की इन्होंने ने हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها से पूछा : आप के वालिद अबू बक्र का नाम क्या है ? फ़रमाया : अब्दुल्लाह। अर्ज़ किया : लोग तो आप को अतीक़ कहते है ? फ़रमाया : मेरे दादा अबू क़हाफा के तिन बच्चे थे। आप ने उन के नाम अतीक़, मोअय्यतिक ओर मोअत्तिक रखे।

*_माँ की दुआ के सबब अतीक़_*
     हज़रते अबू तल्हाرضي الله تعالي عنه से पूछा गया की हज़रते अबू बक्र को अतीक़ क्यू कहा जाता है ? तो आप ने फ़रमाया : आप की वालिदा का कोई बच्चा ज़िन्दा नही रहता था, जब आप की वालीदाने आप को जन्म दिया तो आप को ले कर बैतुल्लाह शरीफ गई और गिड़ गिड़ा कर यु दुआ मांगी : ऐ मेरे परवर दगार ! अगर मेरा ये फ़रज़न्द मौत से आज़ाद है तो ये मुझे अता फरमा दे। तो इस के बाद आप को अतीक़ कहा जाने लगा।

*_गलबए नाम के सबब अतीक़_*
     हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है की : आप का जो नाम आप के घर वालो ने रखा वो अब्दुल्लाह बिन उष्मान है लेकिन इस और अतीक़ नाम ग़ालिब आ गया।

*_आसमानों ज़मीन में अतीक़_*
     सरकारﷺ ने इरशाद फ़रमाया : अबू बक्र आसमान में भी अतीक़ है और ज़मीन में भी अतीक़ है।
*✍🏽मसनद अल-फ़िरदौस, 1/250*

*_गुलाम आज़ाद करने के सबब अतीक़_*
     आपرضي الله تعالي عنه निहायत ही शफ़ीक़ और महेरबान थे, हज़रते बिलाल हब्शीرضي الله تعالي عنه को उन के आक़ा के ज़ुल्मो सितम और दीगर कई मुसलमानो को कुफ़्फ़ार के ज़ुल्मो सितम से आज़ाद करवाया तो अतीक़ के नाम से मशहूर हो गए।
*✍🏽मीरआतुल मनाजिह, 8/346*

*_इन तमाम अक़वाल में मुताबक़त_*
     आपرضي الله تعالي عنه के लक़ब अतीक़ के बारे में जितने भी अक़वाल ज़िक्र किये गए इन तमाम में कोई तज़ाद नही की हो सकता है आप के वालिदैन ने आप को लक़बे अतीक़ से किसी एक माना में पुकारा हो, और दीगर लोगो ने इस माना में भी और किसी दूसरे माना में पुकारा हो। फिर कुरैश में वही मुस्तमल हो गया और फिर ये इतना मशहूर हो गया की इस्लाम से पहले भी और बाद में भी बाक़ी रहा। लिहाज़ा मुख़्तलिफ़ मानी के एतिबार से तमाम का आप को अतीक़ पुकारना दुरुस्त हुवा।
*✍🏽फैज़ाने सिद्दीके अकबर, 24*
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