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Saturday 3 September 2016

मदनी पंजसुरह

*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #12
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नया लिबास पहनते वक़्त की दो दुआए_*

*اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْ كَسَانِىْ مَآ اُوَارِىْ بِهٖ عَوْرَتِىْ وَاَتَجَمَّلُ فِىْ حَيَاتِىْ*
अल्लाह का शुक्र है जिस ने मुझे वो कपड़ा पहनाया जिस से में अपना सित्र छुपता हु और ज़िन्दगी में इस से ज़ीनत हासिल करता हु।
*✍🏽सुनन तिरमिजी, 5/327*

*اَللّٰهُمَّ لَكَ اَلْحَمْدُ اَنْتَ كَسَوْ تَنِيْهِ اَسْاَلُكَ خَيْرَهُ وَخَيْرَ مَاصُنِعَ اَهُ وَاَعُوْذُبِكَ مِنْ شَرِّهٖ وَشَرِّ مَا صُنِعَ لَهُ*
ऐ अल्लाह ! तेरा शुक्र है तूने मिझे ये कपड़ा पहनाया में तुजसे इसकी भलाई और जिस गरज़ के लिये ये बनाया गया है उस की भलाई मांगता हु और इसकी बुराई और जिस गरज़ के लिए ये बनाया गया है उस की बुराई से तेरी पनाह तलब करता हु।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 3/297*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 215*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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