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Tuesday 6 September 2016

तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान

#28
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②⑤_*
और ख़ुशख़बरी दे उन्हें जो ईमान लाए और अच्छे काम किये कि उनके लिये बाग़ हैं जिनके नीचे नहरें बहें(1)
जब उन्हें उन बागों से कोई फल खाने को दिया जाएगा (सूरत देखकर) कहेंगे यह तो वही रिज्क़ (जीविका) है जो हमें पहले मिला था (2)
और वह (सूरत में) मिलता जुलता उन्हें दिया गया और उनके लिये उन बाग़ों में सुथरी बीबियां हैं (3)
और वो उनमें हमेशा रहेंगे (4)

*तफ़सीर*
     (1) अल्लाह तआला की सुन्नत है कि किताब में तरहीब (डराना) के साथ तरग़ीब ज़िक्र फ़रमाता है. इसीलिये काफ़िर और उनके कर्मों और अज़ाब के ज़िक्र के बाद ईमान वालों का बयान किया और उन्हे जन्नत की बशारत दी. “सालिहातुन” यानी नेकियां वो कर्म हैं जो शरीअत की रौशनी में अच्छे हों. इनमें फ़र्ज़ और नफ़्ल सब दाख़िल हैं.
*✍🏽जलालैन*
     नेक अमल का ईमान पर अत्फ़ इसकी दलील है कि अमल ईमान का अंग नहीं. यह बशारत ईमान वाले नेक काम करने वालों के लिये बिना क़ैद है और गुनाहगारों को जो बशारत दी गई है वह अल्लाह की मर्ज़ी की शर्त के साथ है कि अल्लाह चाहे तो अपनी कृपा से माफ़ फ़रमाए, चाहे गुनाहों की सज़ा देकर जन्नत प्रदान करें.
*✍🏽मदारकि*
     (2) जन्नत के फल एक दूसरे से मिलते जुलते होंगे और उनके मज़े अलग अलग. इसलिये जन्नत वाले कहेंगे कि यही फल तो हमें पहले मिल चुका है, मगर खाने से नई लज़्ज़त पाएंगे तो उनका लुत्फ़ बहुत ज़्यादा हो जाएगा.
     (3) जन्नती बीबियां चाहें हूरें हों या और, स्त्रियों की सारी जिस्मानी इल्लतों (दोषों) और तमाम नापाकियों और गंदगियों से पाक होंगी, न जिस्म पर मैल होगा, न पेशाब पख़ाना, इसके साथ ही वो बदमिज़ाजी और बदख़ल्क़ी (बुरे मिजाज़) से भी पाक होंगी.
*✍🏽मदारिक व ख़ाज़िन*
     (4) यानी जन्नत में रहने वाले न कभी फ़ना होंगे, न जन्नत से निकाले जाएंगे, इससे मालूम हुआ कि जन्नत और इसमें रहने वालों के लिये फ़ना नही.
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