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Friday 2 September 2016

मदनी पंजसुरह

*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आबे ज़मज़म पीते वक़्त की दुआ*

हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : आबे ज़मज़म जिस काम के लिये पिया जाए (कार आमद है) आप इसको पीते वक़्त शिफ़ा तलब करे तो अल्लाह शिफ़ा अता फ़रमाएगा, और अगर पनाह मांगे तो अल्लाह उसे पनाह अता फ़रमाएगा।

*اَللّٰهُمَّ اَسْاَلُكَ عِلْمًا نَّافِعًا وَّرِزْقًا وَّاسِعًا وَّشِفَآءً مَّنْ كُلَّ دَآءٍ*
ऐ अल्लाह ! में तुझसे इल्मे नाफ़ेअ का और रिज़्क़ की कुशादगी का और हर बिमारी से शिफयाबि का सुवाल करता हु।
*✍🏽अलमुस्तदरक लिल्हाकिम, 2/132*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 214*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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