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Thursday 29 September 2016

फुतूह अल ग़ैब

*तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या?*  #3
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

      पस तुम्हें चाहिये के किसी चीज़ की तलब के लिये मखलूक की तरफ न देखो और खालिक के सिवा किसी और से तआल्लुक न रखो और न किसीको अपने हालात बताओ। महोब्बत उसीसे करो, हाजतें उसीसे अर्ज़ करो, तकलीफ के इज़ालेके लिये उसी तरफ रुजुअ करो क्यों के सुदोज़िया उसीकी तरफ से हैं, परेशनिया वही रफअ कर सकता है,इज़्ज़त व ज़िल्लत और बुलंदी व पस्ती देनेवाला वही है, ईशरत व सरवत वही दे सकता है और हरकत व सुकून उसीके कब्ज़ए कुदरत में है।
      तमाम वाकेआत और अवामिल उसीके हुकम और इजाज़त से ज़ाहिर होते हैं। हर चीज़ उसी वक़्त जारी रेहती है जिसका तअइयुन (मुकर्रर) वो कर दे जिसको खालिक व मालिकने मकदम (आमद) किया है। वो मोवख्खिर (आखरी) नही हो सकती और जो मोवख्खर है, उसे कोई मकदम (पैर धरने नहीं दे)  सकता। अल्लाह तआलाने फरमाया के अगर अल्लाहकी तरफसे कोई नुकसान पहोंचे तो वोही और सिर्फ वोही उसे दूर कर सकता है और अगर खुदा तेरी भलाई करना चाहे तो उसके फ़ज़लको रद करनेवाला कोई नहीँ।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज  42
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खादिमे दिने नबी ﷺ
 *फ़ैयाज़ सैय्यिद*
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