*फ़र्ज़ नमाज़ के बाद की दुआ* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
हर नमाज़ के बाद पेशानी यानी सर के अगले हिस्से पर हाथ रख कर पढ़े :
*بِسْمِ اللّٰهِ الَّذِىْ لَآاِلٰهَ اِلَّاهُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحِيْمُ اَللّٰهُمَّ اَذْهِبْ عَنِّى الْهَمَّ وَالْحُزْنَ*
अल्लाह के नाम से जिस के सिवा कोई मअबूद नही, वो रहमान व रहीम है, ऐ अल्लाह मिझ से गम व रन्ज को दूर कर दे।
और हाथ खीच कर माथे तक ले जाए।
*✍🏽मजमउ ज़्ज़वाइद, 10/144*
*✍🏽बहारे शरीअत, जी। अव्वल, हिस्सा सीवुम, 539*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 225*
*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
___________________________________
📮Posted by:-
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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अल्लाह के नाम से जिस के सिवा कोई मअबूद नही, वो रहमान व रहीम है, ऐ अल्लाह मिझ से गम व रन्ज को दूर कर दे।
और हाथ खीच कर माथे तक ले जाए।
*✍🏽मजमउ ज़्ज़वाइद, 10/144*
*✍🏽बहारे शरीअत, जी। अव्वल, हिस्सा सीवुम, 539*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 225*
*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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