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Wednesday 28 September 2016

फुतूह अल ग़ैब

*तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या?*  #2
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     खुदा तआला ने फ़रमाया : अल्लाहकी नेअमतें ऐसी और इतनी हैं-के हद-व-हिसाब में नहीं आ सकतीं, बहोतसी ऐसी भी हैं जिनका तुम्हें ऐहसास तक नहीं। पस तुम्हें चाहिये के किसी चीज़ की तलब के लिये मखलूक की तरफ न देखो और खालिक के सिवा किसी और से तआल्लुक न रखो और न किसीको अपने हालात बताओ। महोब्बत उसीसे करो, हाजतें उसीसे अर्ज़ करो, तकलीफ के इज़ालेके लिये उसी तरफ रुजुअ करो क्यों के सुदोज़िया उसीकी तरफ से हैं, परेशनिया वही रफअ कर सकता है,इज़्ज़त व ज़िल्लत और बुलंदी व पस्ती देनेवाला वही है, ईशरत व सतवत वही दे सकता है और हरकत व सुकून उसीके कब्ज़ए कुदरत में है।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज  42
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खादिमे दिने नबी ﷺ
 *फ़ैयाज़ सैय्यिद*
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