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Saturday 17 September 2016

फ़ारुके आज़म का इश्के रसूल

#03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_तआरुफे उमर फ़ारुके आज़म_*
     खलिफए दुवम, हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه की कून्यत "अबू हफ़्स" और लक़ब "फ़ारुके आज़म" है। एक रिवायत में है आप 39 मर्द के बाद हुज़ूरﷺ की दुआ से एलान नुबुव्वत के छटे साल ईमान लाए, इसी लिए आप को मुतम्मिल अरबइन यानी "40 का अदद पूरा करने वाले" कहते है।
     आपرضي الله تعالي عنه के इस्लाम क़बूल करने से मुसलमानो को बेहद ख़ुशी हुई और उन को बहुत बड़ा सहारा मिल गया, यहाँ तक की हुज़ूरﷺ ने मुसलमानो के साथ मिल कर हरमे मोहतरम में ऐलानिया नमाज़ अदा फ़रमाई।
     आपرضي الله تعالي عنه इस्लामी जंगो में मुजाहिदाना शान के साथ बर सरे पैकार रहे और तमाम मन्सूबा बंदियों में हुज़ूरﷺ के वज़ीर व मुशीर की हेसिय्यत से वफादार व रफिके कार रहे।
     खलिफए अव्वल, हज़रते अबू बक्रرضي الله تعالي عنه ने अपने बाद हज़रते फारुके आज़मرضي الله تعالي عنه को खलीफा मुन्तख़ब फ़रमाया, आप ने तख्ते खिलाफत पर रौनक अफ़रोज़ रह कर जानशिनिये मुस्तफाﷺ की तमाम तर जिम्मेदारियो को बहुत ही अच्छे अंदाज़ से सर अंजाम दिया।
     बिल आखिर नमाज़े फज़र में एक बदबख्त ने आपرضي الله تعالي عنه पर खन्जर से वार किया और आप ज़ख्मो की ताब न लाते हुवे तीसरे दिन शरफे शहादत से सरफ़राज़ हो गए। ब वक़्ते वफ़ात आप की उम्र 63 बरस थी।
     हज़रते सुहैबرضي الله تعالي عنه ने आपرضي الله تعالي عنه की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और हज़रए उमर बिन खत्ताब रौज़ए मुबारका के अंदर हज़रते सिद्दीके अकबरرضي الله تعالي عنه के पहलुए अन्वर में मदफुन हुवे, जो की सरकारﷺ के मुबारक पहलु में आराम फरमा है।
*फ़ारुके आज़म का इश्के रसूल, 7*
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