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Wednesday 2 November 2016

*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*रसूले खुदा के साथ निकाह का सबब*
     हुज़ूरﷺ के साथ हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها के निकाह का एक सबब आप का सफर शाम था की जब हज़रते खदीजा ने अपने गुलाम मैसरह् की ज़बानी प्यारे आक़ाﷺ की पैग़म्बराना सिफ़ात सुनी और खुद भी फरिश्तों को आपﷺ पर साया किये देखा तो ये बाते आप के साथ निकाह करने में सगबत का बाईस बनी।
     नीज़ ये भी मरवी है की ख्वातीने कुरैश की एक ईद हुवा करती थी, जिसमे वो बैतुल्लाह शरीफ में जमा हुवा करती। एक दिन यदि सिलसिले में वो यहा जमा थी की मुल्के शाम का एक शख्स आया और उन्हें पुकार कर कहा : ऐ गिरोहे कुरैश की औरतो ! अं क़रीब तुम में एक नबी ज़ाहिर होगा जिसे अहमद कहा जाएगा, तुम में से जो औरत भी उन की ज़ौजा बनने का शरफ हासिल कर सकती हो, वो ऐसा ज़रूर करे। ये सुन कर औरतो ने उसे पथ्थर और कंकर मारे, बहुत बुरा भला कहा और निहायत सख्त कलामी की, लेकिन हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها ने खामिशी इख़्तियार फ़रमाई और इस बात को अपने जहन में महफूज़ कर लिया।
     इसके बाद जब मैसरह् ने आपرضي الله تعالي عنها को वो निशानिया बताई जो उन्हों ने देखि थी और खुद आपرضي الله تعالي عنها ने भी जो कुछ देखा था, इस की वजह से आप के ज़हन में ये ख्याल पैदा हुवा की अगर उस शख्स ने सच कहा था तो वो येही शख्सिय्यत हो सकते है।
*✍🏽फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 11*
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