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Tuesday 1 November 2016

*गफलत* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*जहन्नम के दरवाजे पर नाम*_
     ऐ आज के जनाबो और कल के मर्हुमो ! याद रखिये ! जो गुनाहों पर अडा रहा वो रास्ता भूल गया, गफलतो और बे अ-मलियो की तारीकियों में भटक गया और खुदा व् मुस्तफाﷺ की नाराजियो की सूरत में कब्रो आख़िरत के अजाबो में फंस कर रह गया, अब पछताने और सर पछाड़ने से कुछ हाथ नही आएगा, अब भी मौकअ है जल्द तर अपने गुनाहो से सच्ची तौबा कर के नामजो, र-मजानुल मुबारक के रोजों और सुन्नतो भरी जिंदगी गुजरने का अहद कर लीजिये।

     सुनिये ! सुनिये ! सरकारे मदीना, राहते कल्बो सीनाﷺ का फरमाते है इब्रत निशान है: जो कोई एक नमाज भी कसदन तर्क कर देगा, उस का नाम जहन्नम के उस दरवाजे पर लिख दिया जाएगा जिस से वोह जहन्नम में दाखिल होगा ।
*✍🏽हिल्यतुल औलिया, 7/299*

     इसी तरह एक हदीसे पाक में इर्शादे इब्रत बुन्याद है : जो माहे र-मजान का रोजा भी बिला उज्रे शर-ई व् मरज कजा कर देता है तो जमाने भर के रोजे उस की कजा नहीं हो सकती अगर्चे बा'द में रख भी ले ।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 2/170*
*✍🏽गफलत, 8*
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खादिमे दिने नबीﷺ *ज़ैद वहोरा*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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