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Thursday 28 July 2016

मुर्दे की बेबसी

*जनाज़े का ऐलान*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     सुनो ! बन्दा अपने हिस्से की रोज़ी खा कर, ज़िन्दगी गुज़ार कर लोगो के कंधो पर ननाज़े के पिंजरे में सुवार हो कर जब जानिबे क़ब्रस्तान सिधारता है।
     हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : उस जाट की क़सम जिसके क़ब्ज़ए क़ुदरत में मेरी जान है अगर लोग उसका (यानी मरने वाले का) ठिकाना देख ले और उसका कलाम सुनले तो मुर्दे को भूल जाए और अपनी जानो पर रोए।
     जब मुर्दे को तख्त पर रख कर उठाया जाता है उसकी रूह फड़फडा कर तख्त पर बैठ कर निदा करती है : ऐ मेरे अहलो इयाल ! दुन्या तुम्हारे साथ इस तरह न खेले जैसा की इसने मेरे साथ खेला, में ने हलाल और गैर हलाल माल जमा किया और फिर वो माल दुसरो के लिये छोड़ आया। उसका नफा उनके लिये है और उसका नुक़सान मेरे लिये, पस जो कुछ मुझ पर गुज़री है उस से डरो। (यानी इब्रत हासिल करो)

      मक़ामे गौर है ! वाक़ई हर जनाज़ा ज़बर दस्त मुबल्लिग है, गोया हमे पुकार पुकार कर कह रहा है की ऐ पीछे रह जाने वालो ! जिस तरह आज में दुन्या से जा रहा हु अनक़रीब तुम्हे भी मेरे पीछे पीछे आना है। यानी जनाज़ा गोया हमारी रहनुमाई कर रहा है।
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 11*
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