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Monday 18 July 2016

फुतूह अल ग़ैब

*औलियाअ अल्लाह कौन हैं?*  cont…
 (फुतूहल गैब)

*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

     कल्बकी इन्कसारी के इन मराहिलका इख्तेताम (खातमा) ये होगा के तौहीद दिल व दिमागमें रासिख (मजबूत) हो जाएगी और तुम्हें दीदारे खुदावन्दी नसीब होगा। ‌‌‌अना इनहल मनकसर तुल कुलूबहुम. ( यानी मैं शिकस्ता दिलोंके बहोत करीब हूं) का यही मतलब है और हमारे कौल इन्द वजूदक फीहाका मतलब इरदाए नौ में तुम्हारा इत्मिनाने कल्ब है।
     हदीसे कुदसीमें है के मेरा मोमिन बन्दा इबादत व ज़िक्र के बाइस मेरे कुर्बका तमन्नाइ होता है। हत्ताके मैं उसे मेहबूब बना लेता हूं और जब ये कैफियत हो जाए तो मैं उसके कान बन जाता हूं जिससे वो सुनता है, उसकी आंखे हो जाता हूं जिससे वो देखता है, उसकी ज़बान और हाथ और पांव बन जाता हूं जिससे वो बोलता, पकडता और चलता है।
    पस फनाकी हालत ये है के मख्लूक अच्छी हो या बूरी,  तुम खुद नेक हो या बद – अपने आपसे और मखलूकसे लाताल्लुक हो जाओ फिर जब तुम न किसीसे तवक्कोआत (तवक्कोकी जमा) वाबस्ता करो, न किसीसे डरो और न अपनी फितरी सफात की हिफाज़तमें कोइ खिलाफे शरअ बात कुबूल न करो। तो तुम्हारे नफ्स में अल्लाह ही अल्लाह बाकी होगा। जिस तरह तुम्हारी पैदाइशसे कब्ल (पेहले) था।

बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 12
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