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Sunday 24 July 2016

अब्लाक़ घोडा

*क़ुरबानी करने वाले बाल, नाख़ून न काटे*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा एक हदिष, "जब अशरा आ जाए और तुम में से कोई क़ुरबानी करना चाहे तो अपने बाल व खाल को बिलकुल हाथ न लगाए", के तहत फरमाते है : यानी अमीर वुजुबन या फ़क़ीर नफ़्लन क़ुरबानी का इरादा करे वो जुल हिज्जतील हराम का चाँद देखने से क़ुरबानी करने तक नाख़ून, बाल और (अपने बदन की) मुर्दार खाल वगैरा न काटे न कटवाए ताकि हाजियो से क़दर (यानी थोड़ी) मुशा-बहत हो जाए की वो लोग ऐहराम में हजामत नही करा सकते और ताकि क़ुरबानी हर बाल, नाख़ून के लिये जहन्नम से आज़ादी का फिदया बन जाए।
     ये हुक्म वाजिब नही, मुस्तहब है और हत्तल इम्कान मुस्तहब पर भी अमल करना चाहिए अलबत्ता किसी ने बाल या नाख़ून काट लिये तो गुनाह भी नही और ऐसा करने से क़ुरबानी में खलल भी नही आता, क़ुरबानी दुरुस्त हो जाती है। लिहाज़ा क़ुरबानी वाले का हजामत न करना बेहतर है लाज़िम नही।
     इस से मालुम हुवा की अच्छो की मुशा-बहत (यानी नकल) भी अच्छी है।

*_गरीबो की क़ुरबानी_*
     मुफ़्ती साहब मज़ीद फरमाते है : बल्कि जो क़ुरबानी न कर सके वो भी इस अशरह में हजामत न कराए, बक़रह ईद के दिन बादे  नमाज़े ईद हजामत कराए तो इन्शा अल्लाह क़ुरबानी का षवाब पाएगा।
*✍🏽मीरआतुल मनाजिह 2/370*
*✍🏽अब्लाक़ घोडा 4*
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