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Tuesday 26 July 2016

सिरते मुस्तफाﷺ


*_सरीययए अब्दुल्लाह बिन अनीस_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     मुहर्रम सि.4 हि. को इत्तिला मिली की खालिद बीन सुफ़यान हज़ली मदीने पर हम्ला करने के लिये फ़ौज जमा कर रहा है।
     हुज़ूरﷺ ने उसके मुक़ाबले के लिये हज़रते अब्दुल्लाह बिन अनीसرضي الله تعالي عنه को भेज दिया। आप ने मौक़ा पा कर खालिद बिन सुफ़यान हज़ली को क़त्ल कर दिया और उस का सर काट कर मदीना लाए और हुज़ूरﷺ के क़दमो में दाल दिया।
     हुज़ूरﷺ ने हज़रते अब्दुल्लाह बिन अनीसرضي الله تعالي عنه की बहादुरी और जांबाजी से खुश हो कर उनको अपना असा (छड़ी) अता फ़रमाया और इरशाद फ़रमाया की तुम इसी असा को हाथ में ले कर जन्नत में चहल क़दमि करोगे। उन्होंने अर्ज़ की या रसूलल्लाहﷺ ! क़यामत के दिन ये मुबारक असा मेरे पास निशानी के तौर पर रहेगा।
     चुनांचे ई इंतिक़ाल के वक़्त उन्होंने ये वसिय्यत फ़रमाई की इस असा को मेरे कफ़न में रख दिया जाए।
*✍🏽सिरते मुस्तफा 288*
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