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Monday 25 July 2016

मुर्दे की बेबसी

*चार बे बुन्याद दावे*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_पहला दावा "में अल्लाह का बन्दा हु"_*
     वाक़ई मक़ामे गौर है यक़ीनन हर मुसलमान ये इक़रार करता है कि में अल्लाह का बन्दा हु, और ज़ाहिर है बन्दा "पाबन्द" होता है, मगर आज कल अक्सर मुसलमानो के काम आज़ादो वाले है।
     देखिये ! जो किसी का मुलाज़िम होता है वो उस की मर्ज़ी के मुताबिक़ ही काम करता है, यक़ीनन हम अल्लाह के बन्दे है और उसी का रिज़्क़ खा रहे है, मगर अफ़सोस हमारे काम कामिल बन्दों वाले नही,
     उसका हुक्म है नमाज़ पढ़ो, मगर सुस्ती कर जाते है, रमज़ान के रोज़े का हुक्म है, लेकिन हमारी एक तादाद है जो नही रखती। इसी तरह दीगर अहकामाते खुदा वन्दी की बजा आवरी में सख्त कोताहिया है।
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 9*
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