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Monday 25 July 2016

मदनी पंजसुरह

*सूरए कहफ़ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अबू सईद खुदरीرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि नबीﷺ ने फ़रमाया : जो जुमुआ के दिन सूरए कहफ़ पढ़े उसके लिये दो जुमुआ के दरमियान एक नूर रोशन कर दिया जाता है।
     एक रिवायत में है : जो शबे जुमुआ को लढ़े उसके और बैतूल अतीक़ (यानी काबा शरीफ) के दरमियान एक नूर रोशन कर दिया जाता है।
*शोएबुल ईमान 2/474*

     हज़रते अबू दरदाرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो सूरए कहफ़ की पहली 10 आयते याद करेगा दज्जाल से महफूज़ रहेगा।
     और एक रिवायत में है, जो सूरए कहफ़ की आखरी 10 आयते याद करेगा दज्जाल से महफूज़ रहेगा।
*✍🏽सहीह मुस्लिम 8/404*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 37*

बेहतर यही है की पहली 10 और आखरी 10 आयते याद करले।
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