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Saturday 23 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-45
*सूरए बक़रह, पारह 01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आयत ④③_तर्जुमह*
और अदा करते रहो नमाज़को और देते रहो ज़कात को और रूकू करो रूकू करनेवालो के साथ।

*तफ़सीर*
     और अल्लाह के फराइज़ अबसे पूरा करते रहो। यु के अदा करते रहो पाबंदी के साथ नमाज़ को और साल बी साल देते रहो ज़कात को।
     नमाज़ तो पढ़ो और रूकू करो, मगर तन्हा मुनासिब नही, बल्कि रूकू करनेवालो की जमाअत के साथ।
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