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Friday 29 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-51
*सूरए बक़रह, पारह 01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आयत ④⑨, तर्जुमह*
और जब नजात दिलाई थी हमने तुमको फिरोनियो से, जो दिया करे तुमको बुरा दुःख, जबह कर दिया करे तुम्हारे बेटो को और ज़िन्दा रख छोड़े तुम्हारी औरतो को। और तुम्हारी उस हालत में आज़माइश रही तुम्हारे परवरदिगार की तरफसे बहोत बड़ी।

*तफ़सीर*
     अय यहूदियो ! याद करो और मेरा एहसान मानो ! कितना बड़ा हमारा कर्म था जब नजात दिलाई थी हमने तुम लोगो के बाप दादाओ को ज़ालिम और बेरहम फिरोनियो से।
     तुम्हे मालुम है के मिसर के फ़िरऔनो में से उस फ़िरऔन ने जो हज़रते मूसा के ज़माने का फ़िरऔन कहलाता है और इसकी उम्र 400 बरस की हुई, उसने ख्वाब देखा था की बैतूल मुक़द्दस में एक आग चली, जिसने क़ौमें फ़िरऔन, किब्तियो के घर फुक दिये और बनी इस्राइल, औलादे यअक़ूब के घर महफूज़ रहे। और उसको ताबीर दी गई थी के बनी इस्राइल में एक लड़का होगा, जो क़ौमें फ़िरऔन को तबाह कर देगा और बनी इस्राइल को बुलंद रुतबा बना देगा। चुनांचे अपने करता-धरता लोगोसे मशवरा करके उसने चाहा के बनी इस्राइल में जो लड़का पैदा हो, वो क़त्ल कर दिया जाए। एक सालके बच्चे छोड़े जाए, तो दूसरे सालके बच्चे मार डाले जाए।
     चुनांचे उसने यही किया और सारी क़ौमकि ये पहचान हो गई के जो दिया करे तुमको दुःख। दुःख तो सभी बुरे है। मगर वो हर दुःखसे बुरा दुःख पहुचाते रहे। इनके इस बेरहमी भरे ज़ुल्म को देखो के जबह कर दिया करे बगैर सोचे समजे तुम्हारव बेटो को और तरस न खाए, और ज़िन्दा रख छोड़े अपनी नोकरानी बनाने के लिये तुम्हारी क़ौमकि औरतो को।
     और समज लो तुम्हारी उस सब हालतो में खुशहाली का ज़माना हो या बदहाली का, आज़माइश तुम्हारी होती रही तुम्हारे परवरदिगार अल्लाह की तरफ से क्र आज़माइश मामूली नही बल्कि बहोत बड़ी, अंदाज़े से बहार।
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