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Wednesday 6 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-31
*​सूरए बक़रह_पारह 01*​
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*​आयत ③ⓞ _तर्जुमह*
और जब फ़रमाया तुम्हारे परवरदिगार ने फरिश्तो के लिए के "बेशक में बनाने वाला वाला हु ज़मीन में एक खलीफा" अर्ज़ करने लगे के क्या बनाएगा तू उसमे, जो फसाद मचाए उसमे और खूंरेज़ी करे। हालांके हम पाकी बयान करे तेरी हम्द के साथ और तकदिस करते रहे तेरी। फ़रमाया बेशक में जानता हु जो तुम नही जानते।

*तफ़सीर*
और अगर भूले हो तो याद करो जब के फ़रमाया था (तुम्हारे परवरदिगार) अल्लाह तआला ने और ऐलान फरमा दिया था (फरिश्तों के लिये) के वो जान ले और जो कुछ पूछना हो, तो पूछ ले। ऐलान ये था (के बेशक में) अब पैदा फर्मानेवाला हु और (बनानेवाला हु ज़मीन में) एक खलीफा, जो मेरे अहकाम को जारी करे और हुकूमत व तसर्रुफ़ में मेरी नाइब् गिरी-प्रतिनिधित्व करे।
तो सारे फ़रिश्ते दरयाफ़्त करने लगे के ये ऐलान हमारी समज में नहीं आया। क्यू के पैदा फ़रमाएगा तू इस ज़मीन में ऐसेको (जो फसाद मचाएगा और खुनरेज़ी करे?) जैसा के तूने पहले जिन्नों को पैदा फ़रमाया था, जिनकी फसाद अंगेज़ी व खुनरेज़ी पर तेरा अज़ाब नाज़िल हो चूका है, और तेरे हुक्म से हम उनको पहाड़ो और जज़ीरों में धकेल चुके है। इसका हमें ख्याल भी नहीं हो सकता।
और खलीफा तो वो हो सकता है, जो हर वक़्त तेरी यादमे लगा रहे। तस्बीह व पाकी बयान करने और तेरी हम्द के सिवा उसका कोई काम न हो। तो फिर हमारे होते कौन खलीफा होगा ? हालांके हमारा दायमी काम ये है के हम पाकी बयान करे तेरी हम्द के साथ। सुब्हानअल्लाह अल्हम्दुलिल्लाह हमारा रात दिनका वजीफा है। और हर घड़ी हम पाकी बयान करते है तेरी। सुब्बुहुन क़ुद्दूसुन की रट लगाते रहे।
फरिश्तों के इस बयान पर अल्लाह ने फ़रमाया के खलीफत का हक़दार होना सिर्फ इबादत ही पर है या इल्म व दानाई पर भी है ? और मेरे खलिफासे कैसे कैसे शानदार काम होंगे ? उसका इल्म तुमसे कितना ज़्यादा होगा ? इसकी खबर तुमको नहीं है।
और बेशक में जानता हु जो कुछ भी तुम नहीं जानते।
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