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Sunday 10 July 2016

*पर्दा की फरज़ियत​*
          और
*​उसकी अहमियत​*
हिस्सा-03
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_किन लोगो से पर्दा फ़र्ज़ है_*
     हर गैर मेहरम मर्द ख्वाह अजनबी हो ख्वाह रिश्तेदार हो बाहर रहता हो या घर में रहता हो हर एक से पर्दा करना फ़र्ज़ है। हा उन मर्दों से जो औरत के मेहरम हो उनसे पर्दा करना फ़र्ज़ नही।
मेहरम वो मर्द है जिनसे औरत का निकाह कभी और किसी सूरत में भी जाइज़ नही जैसे बाप, दादा, चाचा, मामू, नाना, भाई, भतीजा, भान्जा, पोता, नवासा, ससुर इनलोगो से पर्दा ज़रूरी नही।
     गैर मेहरम मर्द जीस से औरत का निकाह हो सकता है जैसे चाचा ज़ाद भाई, मामू ज़ाद भाई, फूफी ज़ाद भाई, खाला ज़ाद भाई, जेठ, देवर वगैरा। ये सब औरत के गैर मेहरम है आर्इं सब लोगो से पर्दा करना फ़र्ज़ है।
     आज कल बहुत ही गलत और ख़िलाफे शरीअत रिवाज है कि औरते अपने देवतो से बिलकुल ही पर्दा नही करती, बल्कि देवरो से हँसी मज़ाक और उनके साथ हाथा पाई तक करने को बुरा नही समझती हालांकि देवर औरत का मेहरम नही इस लिये सुदर तमाम गैर मेहरम मर्दों की तरह औरतो को देवर से भी पर्दा करना फ़र्ज़ है। बल्कि हदिष में यहाँ तक देवरो से पर्दे की ताकीद है की फ़रमाया : "देवर तो मौत है"
     देवर औरत के हक़ में ऐसा ही खतरनाक है जिस की मौत, और औरत को देवर से उसी तरह दूर भागना चाहिये जिस तरह लोग मौत से भागते है।
*✍🏽मिश्कात शरीफ*

     बहर हाल खूब अच्छी तरह समझ लो की हर गेर मेहरम से पर्दा फ़र्ज़ है चाहे वो अज़नबी हो या रिश्तेदार।
     इसी तरह कुफ्फार व मुशरिकीन की औरतो से भी मुसलमान औरत को पर्दा करना लाज़मी है और उनके घरो में आने जाने से बाज़ रहना ज़रूरी है।
*✍🏽अनवारे मुस्तफा मेगेज़ीन 71*
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