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Sunday 10 July 2016

नमाज़ के अहकाम

*क़ज़ा नमाज़ का तरीका*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_क्या मगरिब का वक़्त थोडा सा होता है ?_*
     मगरिब की नमाज़ का वक़्त गुरुबे आफताब से इब्तदाए वक़्ते ईशा तक होता है। ये वक़्त मक़ामात और तारीख के ऐतिबार से घटता व बढ़ता रहता है।
     फुक़हाए किराम फरमाते है : रोज़े अब्र (यानी जिसदिन बादल छाए हो) उस वक़्त के सिवा मगरिब में हमेशा जल्दी करना मुस्तहब है और दो रकाअत से ज़ाइद कि ताखीर मकरुहे तन्ज़िहि और अगर बगैर उज़्र सफर व मरज़ वगैरा इतनी ताखीर की, कि सितारे गुथ गए तो मकरुहे तहरिमि।
*✍🏽बहारे शरीअत 1/453*
     आला हज़रत अलैरहमा फरमाते है : मगरिब का वक़्ते मुस्तहब जब तक है कि सितारे खूब ज़ाहिर न हो जाए, इतनी देर  करनी कि (बड़े बड़े सितारे के इलावा) छोटे छोटे सितारे भी चमक आए मकरूह है।
*✍🏽फतावा रज़विय्या 5/153*

*_तरावीह की क़ज़ा का क्या हुक्म है ?_*
     जब तरावीह छूट जाए तो उस की क़ज़ा नही, न जमाअत से न तन्हा और अगर कोई क़ज़ा पढ़ भी लेता है तो ये नफ्ल हो जाएगी, तरावीह से इनका तअल्लुक़ नही।
*✍🏽तनविरुल अबसार व दुर्रेमुखतार 2/598*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 255*
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