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Wednesday 13 July 2016

नमाज़ के अहकाम

*नमाज़े जनाज़ा का तरीका*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नमाज़े जनाज़ा बाइसे इब्रत है_*
     हज़रते अबू ज़रرضي الله تعالي عنه गिफारि का इरशाद है, मुझसे हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : क़ब्रो की ज़ियारत करो ताकि आख़िरत की याद आए और मुर्दे को नहलाओ की फानी जिस्म का छूना बहुत बड़ी नसीहत है और नमाज़े जनाज़ा पढ़ो ताकि ये तुम्हे गमगीन करे क्यू की गमगीन इंसान अल्लाह के साए में होता है और नेकी का काम करता है।
*✍🏽अल मुस्तदरक लिलहकिम 1/711*

*_मैय्यत को नहलाने वगैरा की फ़ज़ीलत_*
     हज़रते अली मुर्तजा शेरे खुदाرضي الله تعالي عنه से रिवायत है के हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया कि जो किसी मैयित को नहलाए, कफ़न पहनाए, खुशबु लगाए, जनाज़ा उठाए, नमाज़ पढ़े और जो नाक़ीस बात नज़र आए उसे छुपाए वो अपने गुनाहो से ऐसा पाक हो जाता है जैसा जिस दिन माँ के पेट से पैदा हुवा था।
*✍🏽इब्ने माजह 2/201*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 271*
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