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Wednesday 13 July 2016

*पर्दा की फरज़ियत​*
          और
*​उसकी अहमियत​*
हिस्सा-06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_पर्दे में इज़्ज़त है ज़िल्लत नही_*
     आज कल इस्लाम से दुश्मनी रखने वाले कुछ लोग मुसलमान औरतो को ये कहकर बहकाया करते है कि इस्लाम ने औरतो को पर्दा में रखकर औरतो की बे इज़्ज़ती की है इस लिए औरतो को पर्दे से निकल कर हर मैदान में मर्दों के दोश बदोश खड़ी हो जाना चाहिए,
     मगर मेरी माँ बहन खूब अच्छी तरह समझ ले कि उन मर्दों का ये प्रोपेगण्डा इतना गन्दा, घिनावना फरेब और धोका है कि शायद शैतान को भी न सुझाव होगा, ऐ अल्लाह की बंदियों ! तुम्ही इन्साफ करो कि तमाम किताबे खुली पड़ी रहती ही और बे पर्दा रहती है मगर क़ुरआन शरीफ पर हमेशा गिलाफ चढ़ा कर उस को पर्दे में रखा जाता है, तो बताओ ! क्या क़ुरआन मजीद लर गिलाफ चढ़ाना ये क़ुरआन मजीद की इज़्ज़त है या बे इज़्ज़ती ?
     इसी तरह पूरी दुन्या की मस्जिद नंगी और बे पर्दा रखी गई है मगर खान ए काबा पर गिलाफ चढ़ा कर उसको पर्दा में रखा गया है तो क्या काबा मुक़द्दसा पर गिलाफ चढ़ाना उसकी इज़्ज़त है या बे इज़्ज़ती ?
     पूरी दुन्या को मालुम है कि क़ुरआन और काबा पर गिलाफ चढ़ाकर उन दोनों की इज्ज़तों अज़मत का ऐलान किया गया है कि तमाम किताबो में सबसे अफज़ल व आला क़ुरआन है और तमाम मस्जिदों में सबसे अफज़ल व आला काबा है।
     इसी तरह मुसलमान औरतो को पर्दा का हुक्म दे कर अल्लाह व रसूलﷺ की तरफ से इस बात का ऐलान किया गया है कि अक़्वामे आलम की तमाम औरतो में मुसलमान औरत तमाम औरतो से अफज़ल व आला है।
     मेरी माँ बहने अब खुद फैसला करे कि इस्लाम ने मुसलमान औरतो को पर्दा में रखकर उनकी इज़्ज़त बढ़ाई है या उनकी बे इज़्ज़ती की है ?
     अल्लाह की बारगाह में दुआ है कि मौला हमारी माँ बहनो को इस्लामी तालीमात पर अमल की तौफ़ीक़ मरहमत फरमाए और खास तौर पर पर्दा इख़्तियार करने की तौफ़ीक़ आता फरमाये।
आमीन....
*✍🏽अनवारे मुस्तफा मेगेज़ीन 72*
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