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Wednesday 6 July 2016

सिरते मुस्तफा ﷺ​


*​जंगे उहूद*​
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_सहाबा का जोशे जां निषार​_*
_हिस्सा-04_
ज़ालिम कुफ्फार इन्तिहाई बे दर्दी के साथ हुज़ूरे अन्वरﷺ पर तीर बरसा रहे थे मगर उस वक़्त भी ज़बाने मुबारक पर यही दुआ थी,
*ऐ अल्लाह ! मेरी क़ौम को बख्श दे वो मुझे जानते नही है*

हुज़ूरे अक़दस ﷺदन्दाने मुबारक के सदमे और चेहरए अन्वर के ज़ख्मल से निढाल हो रहे थे। इस हालत में आप ﷺउन गढ़ो में से एक गढ़े में गिर पड़े जो अबू आमिर फ़ासिक़ ने जा बजा खोद कर उनको छुपा दिया था ताकि मुसलमान ला इल्मी में इन गढ़ो में गिर पड़े।
हज़रते अली رضي الله تعلي عنه ने आप ﷺका दस्ते मुबारक पकडा और हज़रते तल्हा बिन उबैदुल्लाहرضي الله تعلي عنه ने आप को उठाया। हज़रए अबू उबैदा बिन अल जर्राहرضي الله تعلي عنه ने लोहे की टोपी की कड़ी का एक हल्क़ा जो चेहरए अन्वर में चुभ गया था अपने दातो से पकड़ कर इस ज़ोर के साथ खीच कर निकाला कि इनका एक दांत टूट कर ज़मीन पर गिर पड़ा। फिर दूसरा हल्क़ा जो दातो से पकड़ कर खीचा तो दुसरा भी टूट गया। चेहरए अन्वर से जो खून बहा उसको हज़रते अबू सईद खुदरी के वालिद हज़रते मालिक बिन सिनानرضي الله تعلي عنه ने जोशे अक़ीदत से चूस चूस कर पि लिया और एक क़तरा भी ज़मीन पर गिरने नहीं दिया।
हुज़ूर ﷺने फ़रमाया कि ऐ मालिक बिन सिनान ! क्या तूने मेरा खून पि डाला ? अर्ज़ किया कि जी हा या रसूलल्लाहﷺ ! इरशाद फ़रमाया कि जिस ने मेरा खून पि लिया जहन्नम की क्या मजाल जो उसको छु सके।

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽सिरते मुस्तफा 275*
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