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Tuesday 5 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-30
*सूरए बक़रह_पारह 01*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*आयत ②⑨_तर्जुमह*
वो है जिसने पैदा फ़रमाया तुम्हारे लिये जो कुछ ज़मीन में है सब। फिर तवज्जोह फ़रमाई आसमान की तरफ, तो हम्वार किया उन्हें सात आसमान। और वो हर मअलूम का इल्मवाला है।

*तफ़सीर*
सबको याद रखना चाहिये की अल्लाह तआला (वो है जिसने पैदा फ़रमाया) अपने लिए नही बल्कि (तुम्हारे लिये जो कुछ्) जमादात, नबातात, हैवानात {जड़ पदार्थ, वनस्पति, प्राणी} वगैरह जो कुछ (ज़मीन में है) सबका सब।
और फिर उसने चाहा के आसमान पैदा फरमाए। तो (तवज्जोह फ़रमाई आसमान) के पैदा करने की तरफ। और पैदा फ़रमाया तो हम्वार {समतल} किया उन्हें ठीक ठीक गिनती में सात आसमान।
और अब किसीको शुबा हो सकता है के साड़ी मख्लूक़ को ऐसी हिक़मतोके साथ पैदा फरमाने वाला, इतनी अज़ीम क़ुदरतवाला, जो है वो यक़ीनन (हर मअलूम का) जिससे इल्म मुतअल्लिक़ {सम्बंधित} हो सके, जान्ने वाला और उसका इल्म रखने वाला है।
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