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Sunday 3 July 2016

नमाज़ के अहकाम

*क़ज़ा नाज़ का तरीका*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_उम्र भर की क़ज़ा का हिसाब_*
जिस ने कभी नमाज़े ही न पढ़ी हो और अब तौफ़ीक़ हुई और क़ज़ाए उम्री पढ़ना चाहता है वो जब से बालिग़ हुवा है उस वक़्त से नमाज़ों का हिसाब लगाए और तारीखे बुलुग भी नही मालुम तो एहतियात इसी में है कि हिजरी सिन के हिसाब से औरत 9 साल की उम्र से और मर्द 12 साल की उम्र से नमाज़ों का हिसाब लगाए।

*_क़ज़ा पढ़ने में तरतीब_*
क़ज़ाए उम्री में यु भी कर सकते है कि पहले तमाम फज़्रे अदा करले फिर तमाम ज़ोहर इसी तरह असर, मगरिब और ईशा।
*✍🏽नमाज़ के हकाम 251*
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