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Sunday 3 July 2016

सिरते मुस्तफा ﷺ


*जंगे उहूद*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_सहाबा का जोशे जां निषार_*
हिस्सा-01
जब हुज़ूरे अन्वर ﷺ ज़ख़्मी हो गए तो चारो तरफ से कुफ्फार ने आप पर तीर व तलवार का वार शुरू कर दिया और कुफ्फार का बे पनाह हुजूम आप ﷺ के हर चहार तरफ से हमला करने लगा जिससे आप कुफ्फार के नरगे में महसूर होने लगे।
ये मन्ज़र देख कर जां निषार सहाबा का जोशे जां निषारि से खून खौलने लगा और वो अपना सर हथेली पर रख कर आप को बचाने के लिए इस जंग की आग मखुद पड़े और आप के गिर्द एक हल्का बना लिया।
हज़रते अबू दजाना رضي الله تعالي عنه झुक कर आप ﷺ के लिये ढाल बन गए और चारो तरफ से जो तलवारे बरस रही थी उनको अपनी पुश्त पर लेते रहे और आप तक किसी तलवार या नेज़े की मार को पहुचने ही नही देते थे।
हज़रते तल्हा رضي الله تعالي عنه कुफ्फार की तलवारो के वार को अपने हाथ पर रोकते थे यहाँ तक कि इन का एक हाथ कट कर शल हो गया और इनके बदन पर 35 या 39 ज़ख्म लगे।
गरज़ जां निषार सहाबा ने हुज़ूर ﷺ की हिफाज़त में अपनी जानो की परवा नही की और ऐसी बहादुरी और जाबाज़ी से जंग करते रहे की तारीखे आलम में इस की मिषाल नही मिल सकती।

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽सिरते मुस्तफा 273*
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