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Thursday 14 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-38
*सूरए बक़रह_पारह-01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आयत ③⑥_तफसिर*
हिस्सा-02
     इस तरह इब्लीस अपनी चाल चल गया। पस फ़िस्ला दिया दोनों को शैतान मर्दुद ने उस जन्नत से।
     हज़रते आदम तो बेगुनाह के बेगुनाह ही रहे। उनकी निय्यत किसी गुनाह की न हुई, न हो सकती थी। ये तो शैतान की हरकत ने निकाला दोनों को उस घर जन्नत से जिसमे वो थे।
     मगर शैतान अपने असल मकसद में नाकाम रहा। उसकी इस आरज़ू को ख़ाक में मिला दिया गया के वो जुट बोल कर सच्चे हज़रत आदम व हव्वा की निगाह में रह जाए। इस बात को दिखा दिया गया और हुक्म दिया हमने के निचे ज़मीन पर तुम सब लोग, जो इस कहने में शरीक़ थे के दरख्त का फल खाने वाला हमेशा यही रहेगा, और जिसने इसको किसी वजह से मान लिया था, अब यहाँ से निकल कर उतर जाओ और अपनी आँखोसे शैतान का जुट देखो और अपनी ज़िन्दगी के वाक़यात में खुद तजरबा व मुशाहदा कर लो के तुम्हारा एक दूसरे के लिये दुश्मन है ताके कभी इस जुट, शैतान के कहेको न मानो।
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