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Thursday 14 July 2016

फुतूह अल ग़ैब

*मकामे फना और अलूवि (बुलंद) दरजात*

*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله
*ﷺ*
   
    इस मुकाम पर पहोचकर वो हर दिल अज़िज़िमें बेमिस्ल हो जायेगा। इसके मरतबेका इदराक लोगोके लिये मुमकिन न होगा। एसा बेअदिल होगा के गैबके पोशीदा इसरार का मुन्फरिद मुजस्समा बन जाएग। इस तरह वो तमाम अम्बिया व रसूल और शोहदा का वारिस बन जाएग। इस पर मरातिबे विलायत यूं खत्म होंगे के तमाम अबदाल इसकी तरफ मुतवज्जा होंगे। उसीके फैज़ से मुश्किले हल होंगी और बाराने रेहमत बारसेगी। जिनसे खेतियां सरसब्ज होंगी। हर खास व आम सरहदी मुसलमन, बादशह, रिआया, कौमके पेश्वा, हुक्काम, और अवामकी मुसीबतें उसकी दूआसे खत्म होगी।
वो शेहरों पर और लोगों पर मोहासिब होगा। लोग दूर दराजसे उसके पास आएंगे। सीमो ज़र उसके कदमों पर निछावर करेंगे और उसकी खीदमते खासकी सआदत हासील करना चाहेंगे। उसकी अज़मते शानमें कोइ इख्तेलाफ न करेगा। एसा मार्दे कमिल वादी व सेहरा में सबसे बेहतरीन, अज़ीम और अफज़ल हो जाता है और साहेबे फज़ले अज़ीम खुदवंद करीम उसे अपने फज़ल से नवाजता है।

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 9
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