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Sunday 10 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-34
*सूरए बक़रह_पारह-01*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

*आयत ③③_तर्जुमह*
फ़रमाया के अय आदम ! बता तो दो उन्हें उन सबके नाम। तो जब बता दिया उन्हें उनके नाम, फ़रमाया, "क्या नही फरमा दिया था मेने तुम्हे के बिला शुबा में ही जनता हु गैबको आसमानों और ज़मीनके, और जानता हु जो कुछ् तुम ज़ाहिर करते हो और को कुछ छुपाते हो।

*तफ़सीर*
अब अल्लाह ने फ़रमाया के अय आदम ! तुम बता दो उन्हें और फरिश्तों को सिखादो उन सब चीज़ों के मुफ़स्सल, अलग अलग नाम और काम वगैरा। चुनांचे हज़रते आदमने बताया, तो जब बता दिया उन्हें इन सब चीज़ों के बाम वगैरा,
उस वक़्त अल्लाह ने फ़रमाया के आय फरिश्तों ! क्या नही फरमा दिया था मेने पहले ही तुम्हे के किसको गैबका इल्म किसी दूसरे तरीके से हो ही नही सकता, जब तक में न बता दू। क्यू के बिला शुबा में ही जानता हु गैबको आसमानों के और ज़मीनो के। जिसको में नही बताया, उसका ग़ैब जानने का दावा जुटा है। वो नजूमी हो या काहिन हो। कुछ भी हो,
     और जिनको वाकई गैबका इल्म हासिल हुवा, जेसे हज़रते आदमको देख रहे हो, तो वो मेरे सिखाने, बताने, अता फरमाने से हुवा। और अय फरिश्तों ! में उसे भी जनता हु जो कुछ तुम ज़ाहिर करते हो साफ साफ़ ज़बान से कह कर, के इंसान फितना फसाद डालेगा और जो कुछ छुपाते हो दिल में ये सोच कर के खिलाफत के मुस्तहिक़ तुम ही हो सकते हो। तुमसे अफज़ल कोई नही है।
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