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Friday 20 January 2017

*फैज़ाने फ़ारुके आज़म* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*फारुके आज़म के मुबारक अंदाज़* #01
   
*_फारुके आज़म के चलने का मुबारक अंदाज़_*
     हज़रते सीमाक बिन हर्बرضي الله تعالي عنه से रिवायत है : अमीरुल मुअमिनिन फारुके आज़मرضي الله تعالي عنه कुशादा क़दमो के साथ चला करते थे और चलते हुवे ऐसा लगता गोया आप किसी सुवारी पर सुवार है और दीगर लोग पैदल चल रहे है।

*_आप के खाने का अंदाज़_*
     आपرضي الله تعالي عنه निहायत ही मुत्तक़ी और परहेज़गार थे, क़तई जन्नती होने के बा वुजूद हमेशा फ़िक्रे आख़िरत दामन गिर रहती थी और ये फ़िक्र आप को भूका रहने पर उकसाती रहती थी। आपرضي الله تعالي عنه की खोराक निहायत ही कलिल थी, कभी जव की रोटी के साथ ज़ैतून, कभी दूध, कभी सिरका, कभी सुखाय हुवा गोश्त तनावुल फरमाते, ताज़ा गोश्त बहुत ही कम इस्तिमाल करते थे, कभी दो खाने इकठ्ठे नही खाए। मनसबे खिलाफत पर मुतमक्कीन होने के बाद तो आपرضي الله تعالي عنه ऐसी खुश्क रोटी खाया करते थे की आम लोग उसे खाने से आजिज़ आ जाए। निज खाना कहते हुवे रोटी के किनारो को अलाहिदा करके खाना आप को सख्त ना पसंद था।

*_आप के गुफ्तगू करने का मुबारक अंदाज़_*
     आपرضي الله تعالي عنه के बोलने और बात करने का निहायत ही मुबारक अंदाज़ था, आम मुआमलात में आप की गुफ्तगू का अंदाज़ बहुत नर्म था लेकिन आप के चेहरे की वजाहत और रोब व दबदबे की वजह से उस में शिद्दत महसूस होती। आपرضي الله تعالي عنه की खिलाफत में लोगो को सबसे ज़्यादा हक़ बात कहने का होसला मिला। लेकिन जहा कही शरई मुआमले की खिलाफ वर्जि होती वहा आप सख्ती फरमाते और यक़ीनन ये आप की गैरत इमानी का मुह बोलता सुबूत था। बीसियो वाकियात ऐसे मिलते है की जहां इस्लामी गैरत का मुआमला आता वहा आपرضي الله تعالي عنه फौरन जलाल में आ जाते।

*_आप का बैठने का मुबारक अंदाज़_*
     आपرضي الله تعالي عنه की मुकम्मल सीरत पर नज़र डाली जाए तो ये बात ज़ाहिर होती है की आप बैठते बहुत कम थे, हर वक़्त किसी न किसी काम में मसरूफ़ रहा करते थे, अलबत्ता जब बैठते थे तो चार ज़ानू बेठा करते थे, चुनांचे इमाम ज़ोहरि अलैरहमा से रिवायत है : आपرضي الله تعالي عنه उमुमन चार ज़ानू बेठा करते थे।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏽फैजाने फारुके आज़म, 63*
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