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Wednesday 25 January 2017

*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_आस्मान की तरफ देखना_*
     निगाह आसमान की तरफ उठाना,
     हुज़ूर ﷺ फरमाते है : क्या हाल है उन लोगो का जो नमाज़ में आसमान की तरफ आँखे उठाते है इससे बाज़ रहे या उनकी आँखे उचक ली जाएगी।
*✍🏽सहीह बुखारी, जी.2 स.103*

     इधर उधर मुह फेर कर देखना, चाहे पूरा मुह फेर या थोडा। मुह फेरे बिगैर सिर्फ आँखे फिरा कर इधर उधर बे ज़रूरत देखना मकरुहे तन्ज़ीहि है और नादिरन किसी गरजे सहीह के तहत हो तो हरज नहीं।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.3 स.194*

     सरकारे मदीना ﷺ फरमाते है : जो बन्दा नमाज़ में है अल्लाह की रहमते खास्सा उस की तरफ मुतवज्जेह रहती है जब तक इधर उधर न देखे, जब उसने अपना मुह फेरा उस की रहमत भी फिर जाती है।
*✍🏽अबू दाऊद, जी.1 स.334 हदिष:909*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स.193*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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