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Saturday 28 January 2017

*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नमाज़ और तस्वीर_*
     जानदार की तस्वीर वाला लिबास पहन कर नमाज़ पढ़ना मकरुहे तहरीमि है, नमाज़ के इलावा भी ऐसा कपड़ा पहनना जाइज़ नहीं।
*✍🏽दुर्रेमुखतार 2/502*

     नमाज़ी के सर पर यानी छत पर या सज्दे की जगह पर या आगे या दाए या बाए जानदार की तस्वीर आवेज़ा होना मकरुहे तहरीमि है और पीछे होना भी मकरूह है, मगर गुज़श्ता सूरतो से कम। अगर तस्वीर फर्श पर है और उस और सज्दा नहीं होता तो कराहत नहीं। अगर तस्वीर गैर जानदार की है जेसे दरिया पहाड़ वगैरा तो इस में कोई मुज़ायक़ा नहीं। इतनी छोटी तस्वीर हो जिसे ज़मीन पर रख कर खड़े हो कर देखे तो आज़ा की तफ़सील न दिखाई दे (जैसा के उमुमन तवाफ़े काबा के मंज़र की तस्वीरें बहुत छोटी होती है ये तसावीर) नमाज़ के लिये बाइसे कराहत नहीं है।
*✍🏽गुण्यतुल मुस्तमलि, 347*
*✍🏽दुर्रेमुखतर, 2/503*

     तवाफ़ की भीड़ में एक भी चेहरा वाज़ेह हो गया तो मुमानअत बाक़ी रहेगी। चेहरे के इलावा मसलन हाथ, पाउ, पीठ, चेहरे का पिछला हिस्सा या ऐसा चेहरा जिस की आँखे, नाक, होठ वग़ैरा सब आज़ाए मिटे हुए हो ऐसी तसावीर में कोई हर्ज़ नही।

*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स.196*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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