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Sunday 15 January 2017

*नमाज़ के मुस्तहब्बात*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     निय्यत के अलफ़ाज़ ज़बान से कह लेना. जब की दिल में निय्यत हाज़िर हो वरना तो नमाज़ होगी ही नही.
     कियाम में दोनों पंजो के दर मियान 4 उंगल का फ़ासिला होना.
     कियाम की हालत में सजदे की जगह, रूकू में दोनों क़दमो की पुश्त पर, सजदे में नाक की तरफ, क़ायदे में गोद की तरफ, पहले सलाम में सीधे कंधे की तरफ और दूसरे सलाम में उलटे कंधे की तरफ नज़र करना.
     मुंफरीद को रुकूअ और सजदों में तिन बार से ज्यादा [मगर ताक अदद यानि 5, 7, 9] तस्बीह कहना.
     "हिल्या" वगैरह में हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुबारक वगैरा से है की इमाम के लिये तसबिहात 5 बार कहना मुस्तहब है.
     जिस को खासी आए उस के लिए मुस्तहसब है की जब तक मुमकिन हो न ख़ासे.
     जमाहि आए तो मुह बंद किये रहिये और न रुके तो हॉट दांत के निचे दबाइये. अगर इस तरह भी न रुके तो कियाम में सीधे हाथ को पुश्त से और गैर कियाम में उलटे हाथ की पुश्त से मुह ढांप लीजिये. जमाहि रोकने का बेहतरीन तरीका ये है की दिल में ख़याल कीजिये की सरकार मदीना और दीगर अम्बिया अलैहिमुस्सलाम को जमाहि कभी नही आती थी. इन्शा अल्लाह फौरन रुक जाएगी.
     जब मुगब्बीर "हय्या-अ-ललफला" कहे तो इमाम व मुक्तदि सब का खड़ा हो जाना
     सजदा ज़मीन पर बिल हाइल होना.
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, 182-183*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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