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Friday 6 January 2017

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #13
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*11वी शरीफ के फुयुज व बरकात* #01
     जनाब क़ाज़ी वजीहुद्दीन क़ादरी अलैरहमा नकल फरमाते है की, बुरहान पुर में हमारे घर के क़रीब एक हिन्दू खत्री रहता था और हज़रत महबूबे सुबहानीرضي الله تعالي عنه का जान व दिल से अकीदतमंद था, जब नाम सुनता क़ुरबान होता था और आप के उर्स शरीफ करता था उम्दा उम्दा खाने पकवा कर फकीरो, दरवेशों को खिलाता था।
     जब उस का इन्तिकाल हो गया तो उसकी जाट के लोग अपने दस्तूर के मुताबिक़ उसको मरघट में ले गए, घी और आग में जलाया मगर हजार कोशिश के बावुजूद उसका एक बाल भी नही जलता था। मायूस हो कर नदी में बहाने का इरादा किया की नदी के जानवर और मछलिया खाएंगे। इतने में हज़रत गौषे पाकرضي الله تعالي عنه के एक खलीफा को आलमे बातिन में हुक्म हुआ की, फुला हिन्दू हमारे फला फ़रज़न्द के पास मुसलमान हुआ और कलिमा पढ़कर हमारे सिलसिले में दाखिल हुआ और उसका नाम सादुल्लाह है, वो मर गया है तुम उसे मरघट से लाकर गुस्ल दो और नमाजे जनाज़ा पढ़कर दफ़्न कर दो ! हमारे परवरदिगार ने हम से वादा फ़रमाया है की हमारा मुरीद बाईमान मरेगा और दोनों जगह (दुन्या व आख़िरत) में उस पर आग असर न करेगी।
*✍🏽अलहकाइक फिलहदाईक, 161*
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 15*

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