Pages

Saturday 21 January 2017

*फैज़ाने फ़ारुके आज़म* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*फारुके आज़म के मुबारक अंदाज़* #02
2
*_आप के सोने का मुबारक अंदाज़_*
     हज़रते इमाम ज़ोहरि अलैरहमा से रिवायत है : आपرضي الله تعالي عنه जब लेटते तो एक टांग को दूसरी टांग पर चढ़ा लिया करते थे।
*ज़मीन पर ही आराम फरमाते*
     उमुमन ऐसा होता है की जिसे कोई मनसब मिल जाए अगरचे वो उन मनसब पर मुतमक्कीन होने से पहले सादा ज़िन्दगी गुज़ारता हो लेकिन मनसब मिलने के बाद उस के तौर तऱीके बदल जाते है। हज़रत फारुके आज़मرضي الله تعالي عنه भी जेसे ही मनसबे खिलाफत पर मुतमक्कीन हुवे उन की हयाते मुबारका में भी काफी तब्दीली आ गई लेकिन ये तब्दीली फ़िक्रे आख़िरत से भरपूर थी। पहले आप आम ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे लेकिन जेसे खिलाफत के बाद ज़मीन पर कुछ बिछाए बगैर ही आराम फरमा हो जाते, दौरान सफर कोई सायबान या खैमा वगेरा साथ न रखते बल्कि कहि पड़ाव करना होता तो कपड़ा दरख्त पर लटका कर या चमड़े का टुकड़ा दरख्त पर डाल कर उसके साए में आराम कर लेते।
     आपرضي الله تعالي عنه का एक मशहूर वाकिया है की रूम का एलची आप رضي الله تعالي عنه के बारे में दरयाफ़्त करता हुवा जब आप के पास पहुचा तो आप ज़मीन पर आराम फरमा रहे थे। वो ये देख कर हैरान व शशदर रह गया की मुसलमानो का अमीर कितने सुकून से ज़मीन पर आराम फरमा है हालांकि इस के रोब और जलाल से कैसरो किसरा कांपते है।

*_आप के काम करने मुबारक अन्दाज़_*
     बसा औक़ात हुक्मरानो में ऐसा भी होता है की हाथ से बहुत ही कम काम करते है अक्सर हुक्म दे कर काम लेने को तरजीह देते है। लेकिन हज़रत उमर फारुके आज़मرضي الله تعالي عنه की ज़ाते मुबारक में ऐसी कोई आदत न थी। आप दोनों हाथो से बयक वक़्त काम करने में महारत रखते थे।

*_आप के लिबास का मदनी अंदाज़_*
     आपرضي الله تعالي عنه ने कभी शाहाना लिबास को तरजीह न दी, हमेशा सादा लिबास ही पहन। आप सिर्फ एक जुब्बा पहना करते थे और उस में भी जगह जगह पैवन्द लगे हुवे थे, कहि कहि उस में चमड़े का भी पैवन्द लगा होता था। बाज़ औक़ात ऐसा भी देखने में आया की आप की क़मीज़ पर तिन पैवन्द जब की तेहबन्द पर बारह पैवन्द लगे हुवे थे। यहाँ तक की जब आप बैतूल मुक़द्दस तशरीफ़ ले गए तो आप के लिबास पर चौदह पैवन्द लगे हुवे थे।

*_आप की मुस्कुराहट_*
     आपرضي الله تعالي عنه उन हुक्मरानो के सरदार थे जिन पर फ़िक्रे आख़िरत ही ग़ालिब रहती थी, फ़िक्रे आख़िरत के सबब उन्हें कभी कोई ऐसा मौक़ा ही न मिलता था की वो खिल खिला कर हस्ते। अहदे रिसालत में जब बारगाहे रिसालतﷺ में हाज़िर होते तो बसा औक़ात रसूलुल्लाहﷺ के साथ मुस्कराहटों का तबादला हो जाता था। क्यू की इन की ख़ुशी महबूब की ख़ुशी में थी, जब ये देखते की आज महबूब खुश है तो ये भी खुश हो जाते। अलबत्ता आप के अहदे खिलाफत की कोई ऐसी वाज़ेह रिवायत नही मिलती की जिस में आप के हसने का तज़किरा हो, अलबत्ता उल्माए किराम ने इस बात को ज़रूर बयान फ़रमाया है की आपرضي الله تعالي عنه बहुत ही कम हस्ते थे।
*✍🏽फैजाने फारुके आज़म, 66*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment