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Wednesday 4 January 2017

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*इसाले षवाब-मुर्दो को षवाब पहचना* #02
     अल्लाह हज़रते इब्राहिम अलैहिस्सलाम की दुआ का ज़िक्र भी तारीफ़ के तैर पर बयान फ़रमाता है : "ऐ हमारे परवरदिगार ! मुझको और मेरे माँ-बाप को और मोमिनो को बख्श दे ! जिस दिन हिसाब कायम हो।"
*पारह 13*
     गुज़रे हुए लोगो के लिए दुआ ऐ मग्फिरत करना कसैले षवाब ही है अगर इसाले षवाब से गुज़रे हुवो को कोई फायदा नही पहुचता तो क्या हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम जेसे जलिलुल क़द्र पैगम्बर क्या एक बेकार काम कर रहे है ? और क्या अल्लाह भी उस बेकार व फुजूल काम की यु ही तारीफ़ फरमा रहा है ?

     अल्लाह फ़रमाता है : "वो फ़रिश्ते जो अर्श को उठाने वाले और उसके चारो और है वो हमारी तस्बीह व तहमिद के साथ साथ मोमिनो के लिए बख्शीश की भी दुआ करते है।"
*पारह, 24*
     इस आयत से मालुम हुआ की, अल्लाह के फ़रिश्ते अल्लाह की तस्बीह व तहमिद के साथ साथ मोमिनो के लिए मग्फिरत की दुआ मांगते है। देखिये ! बख्शीश मांगने वाले फ़रिश्ते है और उसका फायदा मुसलमानो को पहुचेगा अगर उनकी दुआ का कोई फायदा नही तो क्या वो फ़रिश्ते एक फ़ालतू काम कर रहे है ? और उस फालतू काम का ज़िक्र भी अल्लाह क़ुरआन में फ़रमा रहा है ?

     हुज़ूर की बारगाह में एक सहाबी आये और अर्ज़ किया : "मेरी माँ का अचानक इन्तिकाल हो गया है और वसीयत न कर सकी, मेरा ख्याल है की अगर में उनकी तरफ से सदक़ा दू, तो क्या उस सदके का षवाब उनको मिलेगा ? आप ने फ़रमाया हा ! मिलेगा।
*✍🏽बुखारी*
     इस हदिष से सूरज की तरह रोशन हो जाता है की सदके का षवाब मुर्दो को पहुचता है।

     एक और हदिष में है की, हुज़ूर इरशाद फरमाते है : अगर मय्यत मुसलमान हो तो तुम उसके लिये गुलाम आज़ाद करो ! या उसकी तरफ से सदक़ा दो ! या हज करो ! तो उसका षवाब पहुचेगा।
*✍🏽अबू दाऊद*
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 9*​
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