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Saturday 7 January 2017

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #15
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*11वी शरीफ अल्लाह वालो की नज़र में​​* #02
     हज़रत शाह वलियुल्लाह मुहद्दिस दहलवी अलैरहमा (जिन्हें देवबंदी हज़रात अपने बड़ो में गिनते है) वो अपनी किताबबी में नकल फरमाते है : हज़रत मिर्ज़ा मजहर  जान जाना अलैरहमा ने ख्वाब में एक बहुत चौड़ा चबूतरा देखा जिस पर बहुत से औलिया अल्लाह हल्का बांधकर मुराकबा में थे।
     फिर हज़रत अली के इस्तिक़बाल के लिए चल पड़े। जब हज़रत मौला अलीكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم तशरीफ़ लाये तो उनके साथ हज़रत उवैस करनीرضي الله تعالي عنه भी थे। चुनांचे ये सब हज़रात एक नूरानी हुजरा में तशरीफ़ ले गए।
     पूछने पर उन में से एक बुज़ुर्ग ने बताया की, आज हुज़ूर गौषे आज़मرضي الله تعالي عنه का उर्स (11वी शरीफ) है। उसमे शिर्कत फरमा रहे है।
     एक नामवर इल्मी व रूहानी शख्सियत के हवाले से ऐसी अज़ीमुश्शान रूहानी सनद और ऐसे अज़ीम बुज़ुर्गो की सरपरस्ती बयान फरमा कर हज़रत शाह वलियुल्लाह मुहद्दिस दहलवी ने उर्स 11वी शरीफ के जायज़ होने पर तहक़ीक़ मोहर लगाया है। वाकेया से साफ जाहिर है।
*✍🏽कलीमाते तैयिबात फ़ारसी, 78*

     फिर भी हज़रत शाह मुहद्दिस दहलवी अलैरहमा से अपनी अकीदत व मुहब्बत का ढोल पीटने वाले, उनके नाम पर पेट पालने वाले अपने फतवो से बाज़ नही आते।
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #17
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