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Tuesday 3 January 2017

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*इसाले षवाब-मुर्दो को षवाब पहचना* #01
     *सवाल :* कुछ लोगो का अक़ीदा है की मुसलमान अपनी इबादत का षवाब, अपने मुर्दो की रूहो को न पहुचा सकता है, न पहुचता है और न ही उस से मुर्दो को कोई फायदा पहुचता है। सही क्या है ?

     *जवाब :* इबादत की 3 किस्मे है :
     ★ बदनी इबादत, इसका तअल्लुक़ बदन से है, जेसे क़ुरआन की तिलावत, तस्बीह व तहलील, दुआ व इस्तिग़फ़ार और नमाज़ व रोज़ा वगैरा।
     ★ माली इबादत, इसका तअल्लुक़ माल से है, जेसे ज़कात, सद्क़ात व खैरात वगैरा।
     ★ मुरक्कब (मिलावट), इसका तअल्लुक़ दोनों से है की इस में माल भी खर्च होता है और मक्का पहुच कर जिस्म के साथ हज के अरकान भी अदा करने पड़ते है।
     मुसलमान इन इबादतों में से कोई भी इबादत इख्लास के साथ करता है तो अल्लाह अपने फ़ज़्ल व करम से उसको षवाब अता फ़रमाता है।
     इसाले षवाब का इनकार पुराने ज़माने में एक गुमराह फिरका मोतजला ने किया था, अगर्चे मोतजला तो नही रहे लेकिन बदकिस्मती से मोतजला के ख्याल से मेल खाने वाले ख्यालात के कुछ लोग फिर इस ज़माने में पैदा हो गए है, जिन्होंने इसाले षवाब का इनकार करना शुरू कर दिया है। जब की वे क़ुरआन व हदिष पर ईमान व अमल रखने के दावेदार भी है। ताज्जुब है की क़ुरआन व हदिष पर ईमान का दावा करने वाले इसाले षवाब के मुन्किर कैसे हो गए ? क्यू की क़ुरआन व हदिष पर अमल का दावा और इनकार ये दोनो चीज़े तो ऐसी है जो कभी जमा नही हो सकती। ऐसे लोगो को हमारी इन दलीलो पर गहरी सोच व फ़िक्र करनी चाहिए। और अगर सामने से काला पर्दा हट जाये तो फौरन तौबा कर लेनी चाहिए।
     अल्लाह फ़रमाता है : वो जो बाद आये वो यु दुआ करते है ऐ हमारे परवरदिगार ! हमको बख्श दे ! और हमारे उन भाइयो को भी बख्श दे ! जो हम से पहले ईमान के साथ गुज़र चुके है।
*पारह 28*
     गौर कीजिये ! इस आयत में अल्लाह मुसलमानो के इस मुबारक अमल की तारीफ़ कर रहा है की उनके बाद आने वाले मुसलमान जहा अपने लिए मग्फिरत की दुआ करते है, वहा वो अपने मरे हुए मुसलमान भाइयो और बहनो के लिये भी बख्शीश की दुआ करते है जो उन से पहले गुज़र चुके है।
     अगर ये मान लिया जाये की जिन्दो की दुआ से मुर्दो को कोई फायदा नही पहुचता तो क्या मआज़ल्लाह क़ुरआन एक बेकार काम की तारीफ़ फरमा रहा है ?

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 8*
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