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Friday 6 January 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #120
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑥③_*
     और तुम्हारा मअबूद एक मअबूद है उसके सिवा कोई आबद नहीं मगर वही रहमत वाला महेरबान.

*तफ़सीर*
     शाने नुज़ूल कुफ़्फ़ार ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम से कहा आप अपने रब की शान व सिफत बयान फरमाइये इस पर ये आहत नाज़िल हुई और उन्हें बता दिया गया की मअबूद सिर्फ एक ही है वो मुताज़ज़्ज़ि होता है न मुंक़सीम न उसके लिए मिस्ल न नज़ीर, उलूहियत व रुबूबियत में कोई उसका शरीक नही वो यकता हैअपने अफआल में मस्नूआत को तनहा उसीने बनाया वो अपनी ज़ात में अकेला है कोई उसका क़सीमा नही अपने सिफ़ात में यगाना है कोई उसका राबिह नही।
     अबू दाऊद व तिर्मिज़ी की हदिष में है की अल्लाह का इस्मे आज़म इन दो आयतो में है एक यही आयत "व इलाहुकुम" दूसरी "अलिफ़ लाल मीम अल्लाहु लाईला-ह इल्ला हुव".
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