*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*जायज़ नाजायज़ की कसौटी क्या है ?* #02
*सवाल :* इन् सुन्नी रस्म व रिवाजो के बारे में शरीअत का क्या हुक्म है ?
*जवाब :* हर एक चीज़ के बारे में शरीअत का कानून है की , जिस चीज़ को खुदा व रसूल अच्छा बताये वो अच्छा है। और जिसे बुरा फरमाये वो बुरा है। और जिससे खामोशी फर्मायी यानी शरीअत से न उस के बारे में भलाई निकली न बुराई वो असल में जायज़ रहती है यानी उसके करने या न करने पर न षवाब और न अजाब। ये कानून हमेशा याद रखना चाहिए क्योंकि अक्सर जगह काम आएगा।
हा अगर किसी चीज़ को शरीअत मना करदे तो वो हराम, या मकरुहे तहरिमि, या मना है। यानी मना करने से हराम या गुनाह होना साबित होगा। ये कानून व क़ायदा क़ुरआन और हदिष और फुकहाए किराम से साबित है।
अल्लाह फ़रमाता है : ऐ ईमान वालो ! ऐसी बाटे न पूछो की जो तुम पर जाहिर कर दी जावे तो तुम को बुरी लगे और अगर उस वक़्त पूछोगे जब की क़ुरआन उतर रहा है तो जाहिर कर दी जायेगी अल्लाह उनको (जिनका क़ुरआन में ज़िक्र नही) माफ़ कर चूका है। *(क़ुरआन शरीफ)*
इससे मालुम हुआ की जिसका कुछ बयान न हुआ हल, न हलाल होने का और न हराम होने का तो वो माफ़ है। इसी लिए क़ुरआन ने हराम औरतो का ज़िक्र फरमा कर फ़रमाया : इनके अलावा बाक़ी औरते तुम्हारे लिए हलाल है, यानी उससे निकाह जायज़ है।
और फ़रमाया : तुममे तफ़सील वार बयान कर दिया गया वो चीज़े जो की तुम पर हराम है। *(क़ुरआन शरीफ)*
यानी हलाल चीज़ों की तफ़सील की ज़रूरत नही, तमाम चीज़े ही हलाल है। हा कुछ हराम है जिनकी तफ़सील बता दी उन के सिवा सब हलाल।
हदिष में है : हलाल वो है जिसको अल्लाह ने अपनी किताब (क़ुरआन) में हलाल किया और हराम वो है जसिको अल्लाह ने अपनी किताब में हराम किया और जिससे ख़ामोशी फ़रमाई वो माफ़ है। *(मिश्कात शरीफ)*
इस हदिष से मालुम हुआ की चीज़े 3 तरह की होती है :-
★ जिनका हलाल होना खुले तौर पर क़ुरआन में ज़िक्र किया गया।
★ जिनके हराम होने का ज़िक्र खुले तौर पर है।
★ जिन से ख़ामोशी फ़रमाई ये माफ़ है।
बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 5*
___________________________________
📮Posted by:-
*DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*जायज़ नाजायज़ की कसौटी क्या है ?* #02
*सवाल :* इन् सुन्नी रस्म व रिवाजो के बारे में शरीअत का क्या हुक्म है ?
*जवाब :* हर एक चीज़ के बारे में शरीअत का कानून है की , जिस चीज़ को खुदा व रसूल अच्छा बताये वो अच्छा है। और जिसे बुरा फरमाये वो बुरा है। और जिससे खामोशी फर्मायी यानी शरीअत से न उस के बारे में भलाई निकली न बुराई वो असल में जायज़ रहती है यानी उसके करने या न करने पर न षवाब और न अजाब। ये कानून हमेशा याद रखना चाहिए क्योंकि अक्सर जगह काम आएगा।
हा अगर किसी चीज़ को शरीअत मना करदे तो वो हराम, या मकरुहे तहरिमि, या मना है। यानी मना करने से हराम या गुनाह होना साबित होगा। ये कानून व क़ायदा क़ुरआन और हदिष और फुकहाए किराम से साबित है।
अल्लाह फ़रमाता है : ऐ ईमान वालो ! ऐसी बाटे न पूछो की जो तुम पर जाहिर कर दी जावे तो तुम को बुरी लगे और अगर उस वक़्त पूछोगे जब की क़ुरआन उतर रहा है तो जाहिर कर दी जायेगी अल्लाह उनको (जिनका क़ुरआन में ज़िक्र नही) माफ़ कर चूका है। *(क़ुरआन शरीफ)*
इससे मालुम हुआ की जिसका कुछ बयान न हुआ हल, न हलाल होने का और न हराम होने का तो वो माफ़ है। इसी लिए क़ुरआन ने हराम औरतो का ज़िक्र फरमा कर फ़रमाया : इनके अलावा बाक़ी औरते तुम्हारे लिए हलाल है, यानी उससे निकाह जायज़ है।
और फ़रमाया : तुममे तफ़सील वार बयान कर दिया गया वो चीज़े जो की तुम पर हराम है। *(क़ुरआन शरीफ)*
यानी हलाल चीज़ों की तफ़सील की ज़रूरत नही, तमाम चीज़े ही हलाल है। हा कुछ हराम है जिनकी तफ़सील बता दी उन के सिवा सब हलाल।
हदिष में है : हलाल वो है जिसको अल्लाह ने अपनी किताब (क़ुरआन) में हलाल किया और हराम वो है जसिको अल्लाह ने अपनी किताब में हराम किया और जिससे ख़ामोशी फ़रमाई वो माफ़ है। *(मिश्कात शरीफ)*
इस हदिष से मालुम हुआ की चीज़े 3 तरह की होती है :-
★ जिनका हलाल होना खुले तौर पर क़ुरआन में ज़िक्र किया गया।
★ जिनके हराम होने का ज़िक्र खुले तौर पर है।
★ जिन से ख़ामोशी फ़रमाई ये माफ़ है।
बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 5*
___________________________________
📮Posted by:-
*DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
No comments:
Post a Comment