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Sunday 1 January 2017

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*जायज़ नाजायज़ की कसौटी क्या है ?* #01
     *सवाल :* मिलाद, क़याम, सलाम, नियाज़, फातिहा वगैरा सुन्नी रस्मे व रिवाज़ोके बारे में लगभग हर जगह से सवाल होता ही की क्या "रसूलुल्लाह, या सहाबा, या ताबेईन या अइम्मा ऐ मुजतहिदीन ने ये काम किया ?" अगर नही तो ये काम बिदअत गुमराही है, और हर गुमराही जहन्नम में ले जाने वाली है।

     *जवाब :* इसका पहला इल्ज़मी जवाब ये है की, क्या हुज़ूर  या सहाबा या ताबेईन या अइम्मा ऐ मुजतहिदीन ने इन कामकाज से रोका ? अगर रोका है तो सुबूत पेश करो ! और अगर मना नही किया और सच्ची बात यही है की मना नही किया, तो उनके (बद अक़ीदों) के मुताबिक़ ये मना करना भी बिदअत और जहन्नम में ले जाने वाला हुआ इसलिए की उनके सवाल से ही जाहिर हो गया की जो काम उन हज़रात ने न किया हो वो बिदअत है और मना करना भी यक़ीनन एक काम है, और उन हज़रात ने मना नही किया तो ये भी बिदअत हुआ।
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 5*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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