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Monday 22 May 2017

*अहकामे रोज़ा* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*रोज़ा किस पर फ़र्ज़ है ?*_
     तौहीद व रिसालत का इक़रार करने और तमाम ज़रुरियाते दीन पर ईमान लाने के बाद जिस तरह हर मुसलमान पर नमाज़ फ़र्ज़ क़रार दी गई है इसी तरह रमज़ान के रोज़े भी हर मुसलमान अक़ील व बालिग़ पर फ़र्ज़ है। दुर्रे मुख्तार में है रोज़े 10 शाबानुल मुअज़्ज़म सिने 2 हिजरी को फ़र्ज़ हुए।
*✍🏼दुर्रे मुख्तार मअ रद्दुल मुहतार, 3/330*

_*रोज़ा फ़र्ज़ होने की वजह*_
    इस्लाम में अक्सर आमाल किसी न किसी रूह परवर वाक़ीए की याद ताज़ा करने के लिये मुक़र्रर किये गए है। मसलन सफा और मर्वाह के दरमियान हाजियो की सअय हज़रते हाजिरा رضي الله عنها की यादगार है। इसी तरह माहे रमज़ान में से कुछ दिन हमारे प्यारे सरकार صلى الله عليه وسلم ने गारे हिरा में गुज़ारे थे। इस दौरान आप दिन को खाने से परहेज़ करते और रात को ज़िकरुलाह  में मश्गुल रहते थे। तो अल्लाह ने उन दिनों की याद ताज़ा करने के लिये रोज़े फ़र्ज़ किये ताकि उस के महबूब صلى الله عليه وسلم की सुन्नत क़ाइम रहे।

_*अम्बियाए किराम के रोज़े*_
     रोज़ा गुज़श्ता उम्मतों में भी फ़र्ज़ था मगर उस की सूरत हमारे रोज़े से मुख़्तलिफ़ थी। रिवायत से पता चलता है की "हज़रते आदम सफिय्युल्लाह عليه السلام ने 13, 14, 15 तारीख को रोजा रखा।
*✍🏼कन्जुल उम्माल, 8/258, हदिष:24188*
   
     हज़रते नूह नजिय्युल्लाह عليه السلام हमेशा रोज़ादार रहते।
*✍🏼इब्ने माजह, 2/333, हदिष:1714*

     हज़रते ईशा रूहल्लाह عليه السلام हमेशा रोजा रखते थे कभी न छोड़ते थे।
*✍🏼कन्जुल उम्माल, 8/304, हदिष:24624*

     हज़रते दाऊद عليه السلام एक दिन छोड़ कर एक दिन रोज़ा रखते थे।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, 584, हदिष:1189*

     हज़रते सुलेमान عليه السلام तीन दिन महीने के शुरू में तीन दिन दरमियान और तीन दिन आखिर में (यानि महीने में 9 दिन) रोज़ा रखा करते।
*✍🏼कन्जुल उम्माल, 8/304, हदिष:24624*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 93*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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