Pages

Monday 29 May 2017

*बरकाते ज़कात* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_अहमिय्यते ज़कात_*
     कोई भी मुल्क ख्वाह मआशी तौर पर कितना ही तरक़्क़ी यकता क्यू न हो, लेकिन उसमे लोगो का एक ऐसा तबक़ा ज़रूर होता है जो मुख़्तलिफ़ वुजुहात के बाइस गुरबत व अफ्लास का शिकार होता है। ऐसे लोगो की कफालत की जिम्मेदारी अल्लाह ने साहिबे हेसिय्यत अफ़राद के सुपुर्द की है।
चुनान्चे अल्लाह ने मालदारों पर ज़कात फ़र्ज़ की ताकि वो अपनी ज़कात के ज़रिए मुआशरे के कमज़ोर और नाडार तबके की मदद करे और दौलत चन्द लोगो की मुठ्ठियों में क़ैद होने के बजाए जरूरियात मन्द अफ़राद तक भी पहुचती रहे और यु मआशरे में मआशी तवाज़ुन की फ़ज़ा क़ाइम रहे।
     याद रहे कि अगर अल्लाह चाहता तो सब को दौलत मन्द बना देता और कोई शख्स गरीब न होता, लेकिन उसने अपनी मशिय्यत से किसी को अमीर बनाया तो किसी को गरीब, ताकि अमीर को उस की दौलत और गरीब को उसकी गुर्बत के सबब आज़माए। चुनान्चे पारह 8 सूरतुल अनआम आयत 165 में इरशाद होता है :
*वोही है जिसने ज़मीन में तुम्हे नायब किया और तुममे एक को दूसरे पर दरजो बुलंदी दी कि तुम्हे आज़माए उस चीज़ में जो तुम्हे अता की।*

     यानी आज़माइश में डाले कि तुम नेमत व जाहो माल पा कर कैसे शुक्र गुज़ार रहते हो और बाहम एक दूसरे के साथ किस किस्म के सुलूक करते हो।

     मालुम हुआ की दुन्या दारुल इम्तिहान है, लिहाज़ा हमे चाहिये कि हर हुक्म खुदावन्दि को अपने लिये अज्रो षवाब का ज़खीरा इकठ्ठा करे। फिर ज़कात तो एक ऐसी इबादत है, जिसमे हमारे लिये दुन्या व आख़िरत में ढेरो फवाइद और फ़ज़ाइल रखे गए है।
*बरकाते ज़कात, स.7*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9723 654 786
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment